आज ब्लॉग ३ साल का हो गया है... कुछ मेरी और ज्यादा आपकी बदौलत..
३ साल काफी लंबा समय होता है और तीन साल में काफी कुछ बदल गया है और काफी कुछ आज भी वैसा का वैसा ही है..
मेरी सोच, मेरे देखने, मेरे समझने, मेरे परखने का तरीका बदला है... ३ साल पहले मैं छात्र था, आज एक व्यावसायिक..
मैं, मैं वही हूँ जो आज से ३ साल पहले था.. ३ साल पहले मैं नंबरों के लिए कभी नहीं रोता था, आज भी नहीं...
मैं आज भी हिन्दी में ब्लॉग करता हूँ और बहुत खुश हूँ.. मैं कट्टर हिन्दीवादी नहीं हूँ पर अपनी मातृभाषा का सम्मान किसी और भाषा से ज्यादा करता हूँ..
आज मैं कई लोगों में अपनी ज़रा सी पहचान हिन्दी की बदौलत ही बना पाया हूँ इसलिए हिन्दी को मेरा शत्-शत् नमन हमेशा रहेगा..
हिन्दी मुझे विरासत में तो नहीं मिली पर मेरी माँ का हिन्दी में कविताएँ लिखना एक कारण है मुझे हिन्दी में लिखने को प्रेरित करने के लिए...
पर अब खुद से आशा है कि हिन्दी को उसके असली स्तर पर पहुंचाने में मेरा प्रयास १०० प्रतिशत रहेगा...
उसके बाद कुछ बिट्स पिलानी से जुड़े हुए वाकये और छोटी कविताएँ लिखीं जिसमें कईयों में मेरे विन्गीज़ का भी साथ रहा क्योंकि इंजीनियरिंग का तृतीय वर्ष सबसे दर्द और कष्टदायक होते हैं और दर्द-औ-दुःख में दोस्त हमेशा ही साथ रहते हैं जो मुझे बिट्स पिलानी ने ज़रूर दिए हैं...
तृतीय वर्ष में ही अपने अग्रजों के नाम एक काफी लम्बी कविता लिखी - "बचपन से बुढ़ापा - Psenti Special" जिसे काफी लोगों ने सराहा और मुझे भी बहुत ख़ुशी हुई..
"गिनती ज़िन्दगी की" आज भी मेरे लिए सबसे कम शब्दों में ज़िन्दगी का व्याख्यान है..
तत्पश्चात कुछ हलके-फुल्के हंसी मज़ाक वाले पोस्ट जैसे "इमोसनल अत्याचार नहीं, प्यार" और "जंग का मैदान, मन है शैतान" जैसे कुछ लेखों ने ब्लॉग में जगह बनाई...
हिन्दी के गिरते स्तर और दुर्गति पर भी एक-आध पोस्ट लिखे पर फिर कहीं जा कर लगा कि हिन्दी पढ़ने वालों की गिरती तादाद का कारण क्या है? और इसी कारण की खोज करते-करते मैं लघु कथाएँ लिखने लगा जिसमें एक सन्देश हो और जो इतनी छोटी हो कि हिन्दी ना पढ़ने वाले भी यह समझकर पढ़ लें कि छोटा सा ही तो है पढ़ लेते हैं और मेरे ख्याल से यह बहुत ही कारगर रहा और मैं इसे कायम रखूँगा..
लघु कथाओं में सबसे अच्छी मुझे "लडकियां बनाम समाज", "आपत्ति", "एक दृढ़ फैसला?" और "दर्द-निवारक" लगे.. बाकियों को भी मेरे पढ़ने वालों ने पसंद किया जिसके लिए मैं बहुत शुक्रगुज़ार हूँ..
"गिनती ज़िन्दगी की" आज भी मेरे लिए सबसे कम शब्दों में ज़िन्दगी का व्याख्यान है..
तत्पश्चात कुछ हलके-फुल्के हंसी मज़ाक वाले पोस्ट जैसे "इमोसनल अत्याचार नहीं, प्यार" और "जंग का मैदान, मन है शैतान" जैसे कुछ लेखों ने ब्लॉग में जगह बनाई...
हिन्दी के गिरते स्तर और दुर्गति पर भी एक-आध पोस्ट लिखे पर फिर कहीं जा कर लगा कि हिन्दी पढ़ने वालों की गिरती तादाद का कारण क्या है? और इसी कारण की खोज करते-करते मैं लघु कथाएँ लिखने लगा जिसमें एक सन्देश हो और जो इतनी छोटी हो कि हिन्दी ना पढ़ने वाले भी यह समझकर पढ़ लें कि छोटा सा ही तो है पढ़ लेते हैं और मेरे ख्याल से यह बहुत ही कारगर रहा और मैं इसे कायम रखूँगा..
लघु कथाओं में सबसे अच्छी मुझे "लडकियां बनाम समाज", "आपत्ति", "एक दृढ़ फैसला?" और "दर्द-निवारक" लगे.. बाकियों को भी मेरे पढ़ने वालों ने पसंद किया जिसके लिए मैं बहुत शुक्रगुज़ार हूँ..
"रजनी चालीसा" मुझे आज भी बहुत पसंद है.. रजनीकांतजी की बात ही कुछ ऐसी है!
"आत्महत्या" एक काले नागिन जैसी कविता थी जिसमें लोगों ने मुझे ऐसी नकारात्मक चीज़ें लिखने पर अप्रसन्नता जताई जिसका जवाब मैंने एक रंगीले पोस्ट "जियो जी" से दिया..
इसके अलावा कई गीतों को भी अपने ब्लॉग पर स्थान दिया जिसपर लोगों के सकारात्मक और आलोचनात्मक सुझाव आये जिससे मुझे अपने आप को बेहतर करने का भी मौका मिला..
३ साल... इन 3 सालों में मैंने हास्य, भयानक, रौद्र, करुण, विभत्स, वीर, अद्भुत और शान्ति रस के ऊपर लगभग-लगभग लिखा है..
श्रृंगार पर फिलहाल कुछ नहीं लिखा है.. शायद उस मामले में उतना परिपक्व नहीं हूँ.. होने पर आपको स्वतः ही कुछ लेख नज़र आने लगेंगे..
ब्लॉगिंग करके बहुत ख़ुशी मिलती है.. जहाँ मैं अनजान लोगों के विचारों से रूबरू होता हूँ और उन्हें अपने विचारों से रूबरू करवाता हूँ.. और अभी तक मुझे ब्लॉगजगत में काफी अच्छे और सुलझे हुए लोग ही मिले हैं जिसके लिए मैं इश्वर का शुक्रियादा करता हूँ और यह भी आशा रखता हूँ कि आगे आने वाले वर्षों में मेरी मुलाक़ात और भी ऐसे लोगों से हों जो अच्छे विचारधाराओं को इस समाज में फैला रहे हैं और एक सदृढ़ समाज बनाने की प्रक्रिया में हाथ बंटा रहे हैं..
कई लोगों की टिप्पणियाँ और विचार हमेशा से मेरे लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं.. जैसे समीर लाल जी, अल्पना वर्मा जी, शैलेश झा, निरुपम आनंद, निर्झर'नीर, अनिल पुसादकर जी, तपन अवस्थी, निर्मला कपिला जी, नीरज गोस्वामी जी, शरद कोकास जी, दिव्या जी, रश्मि प्रभा जी, प्रवीण पाण्डेय जी, सोम्या जी और और भी कई लोग जिनका नाम याद न कर पाने के लिए बहुत क्षमा चाहता हूँ..
आज ब्लॉगिंग मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा है और इसके जरिये मुझे काफी अच्छे लेख पढ़ने को और जानने को मिलते हैं.. मैं इसे अपनी ज़िन्दगी भर तक जारी रखना चाहता हूँ क्योंकि मेरी माँ कहती हैं कि एक बार किसी चीज़ को पकड़ लो तो उसे पूरा पार लगा कर ही छोड़ो और ब्लॉगिंग की नैया तो ज़िन्दगी के उस छोर तक चलेगी...
आशा है कि आपका प्यार, टिप्पणियाँ और सुझाव यूँ ही मुझे प्राप्त होते रहेंगे और मैं उनसे प्रोत्साहित होकर आपके समक्ष कुछ अच्छा पेश करने के काबिल हमेशा रहूँगा...
अंत में एक बार फिर से मेरे ब्लॉग को इसके तृतीय वर्षगाँठ की हार्दिक बधाई और आप सभी को भी शुभकामनाएं...
आभार
अपने ३ साल के ब्लोगिंग को अनुपम परिधान में प्रस्तुत किया है.... 'कोई लौटा दे ' ... लौटना आसान है , एक एक कदम तो बढे , पहले अपने - चक दे ' की तरह . बहुत सारी शुभेक्षाएं
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई हो आपको।
जवाब देंहटाएंवाह!! तीन सारे पूरे....बहुत बधाई एवं ऐसे ही लिखते रहें..अनेक शुभकामनाएँ....
जवाब देंहटाएंपार्टी की तो बनती है प्रतीक...ड्यू नोट कर लो!!! :)
वाह प्रतीक आपने तो
जवाब देंहटाएंअपनी ही समीक्षा कर ली
बहुत खूब
पसंद आई
मन भाई
मुझे जानते तो न होगे
पर मैं आपके जज्बे को
पहचान गया हूं
और चाहता हूं कि
आप प्रति सप्ताह या
प्रति माह एक चिट्ठाकार की समीक्षा
मेरे ब्लॉग बगीची पर करो।
यदि मन कहे तो स्वीकार लो
उसमें अपने अच्छे विचार दो।
तीन साल का समय अनुभव पाने और समझने के लिए काफी होता है,यानी आपसे जब मुलाकात हो रही है आप एक समझदार बन चुके हैं.इस मायने में मैं सौभाग्यशाली हूँ.
जवाब देंहटाएंपहली मुलाकात है पर दम दिखता है आपके लेखन में !हिंदी-साहित्य को ऐसे ही प्रतिभाशाली लेखन की ज़रूरत है.
बहुत सारी शुभेक्षाएं...
जवाब देंहटाएं3 वर्ष पूरे होने पर बहुत बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंप्रतीक जी ब्लॉग जगत में तीन वर्ष सफलता पूर्वक गुजरने की बहुत बहुत बधाई...इश्वर से प्रार्थना करता हूँ के आप इसीतरह बरसों बरस ब्लॉग जगत में अपनी लेखनी से पहचाने जाएँ और प्रसिद्धि की नयी ऊँचाइयाँ छूएं...
जवाब देंहटाएंनीरज
Prateek jee, aapko shubhkamnayen aap aajeevan bloging karte rahe or apni pahchan banaye. teen saal ka byora padhkar prasnnta hui ..jeevan aage badhane ka naam hai . aap apne naam ko sarthak kare.
जवाब देंहटाएंबधाई हो बधाई :)
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई आपको......
जवाब देंहटाएंप्रतीक जी आपको ब्लाग की तीसरी वर्षगाँठ पर ढेरों बधाईयाँ और आशीर्वाद। इतना लेखा जोखा लिखने मे काफी मेहनत की है। आप बहुत अच्छा लिखते हैं आगे भी लिखते रहें और ये वर्शगाँठ ैसी तरह अनवरत मनाते रहें एक बार फिर से शुभकामनायें। आपका दिया लिन्क देखती हूँ।
जवाब देंहटाएंअरे चलय्ती दुनिया का लिन्क तो दो?????????/
जवाब देंहटाएंतीन सारे पूरे. बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई आपको और शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंघणी घणी बधाई।
जवाब देंहटाएंराम राम
ढेरों शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंteen saalon ka safar bahut hi rochak dhang se kara diya aapne...pure engineering precision ke saath...kafi kuchh padh gaya...shaukiya kintu purposeful lekhan ke liye badhaiyan...
जवाब देंहटाएंबढ़िया पोस्ट ... ३ साल पूरा होने की बधाई ... अब तक तो आप काफी सारे तजुर्बा हासिल कर लिए .. और आप लिखते भी अच्छे हैं ... भविष्य में भी ऐसे ही लिखते रहे ... शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पोस्ट भाई तीन वर्ष का हर्ष क्या बात है बधाई और शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंतीन साल की यात्रा का विस्तार मे उल्लेख बहुत अच्छा लगा । बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें सालों साल ये सफर चलता रहे।
जवाब देंहटाएंमुबारक जो आपके ब्लाग का जन्मदिन हर साल मनाये व हमे भी बताये
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंप्रतीक जी ,
आपके ब्लॉग के तीन साल पूरे करने के लिए बहुत बहुत बधाई। आप खुशहाली के नए आयाम छुएं और ब्लौगिंग को नित नयी ऊँचाइयों तक ले जाएँ ।
शुभकामनाएं ।
.
मेरी तरफ से भी बधाई स्वीकार करें प्रतिक साहब.... बधाई हो.. आप ३ नहीं ३० साल तक छाये रहो ये दुआ है..
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद आपका.. आप हमारे ब्लॉग पर आये, हौंसला बढाया.. फुर्सत में फिर आईयेगा.. आपका सदैव स्वागत है..