कॉलेज खत्म होने में बस कुछ ही दिन बाकी थे.. और हर किसी कि तरह सबको ये गम सता रहा था कि अब पता नहीं कब मुलाक़ात हो...
और सही भी था.. एक शहर में रहकर मिलना मुश्किल हो जाता है तो दूसरे-दूसरे शहरों में रहने वालों कि तो बात ही क्या..
राहुल और मोहित काफी अच्छे दोस्त थे पर दोनों कि नौकरी अलग-अलग शहरों में थी... उन्हें भी पता था कि अब किस्मत की बात है जब उनकी अगली मुलाक़ात हो..
कई साल बीत गए और राहुल की सगाई हुई और उसने मोहित को बुलाया.. पर नौकरी में व्यस्त रहने के कारण वह पहुँच नहीं पाया..
राहुल ने शादी में आने की पक्की बात कही और मोहित राज़ी भी हुआ.. पर बिलकुल अंतिम समय में उसे काम से विदेश यात्रा करनी पड़ी और वह फिर से राहुल कि ख़ुशी में शामिल ना हो सका..
अगला शुभ अवसर राहुल की बेटी होना था और इस बार मोहित खुद की शादी होने के कारण नहीं जा पाया..
राहुल को अब बहुत बुरा लगा कि हर ख़ुशी के मौके पर मोहित नहीं आता है पर वह भी इसके लिए कुछ कर नहीं सकता था...
फिर एक दिन कई सालों बाद मोहित राहुल के दरवाज़े पर खड़ा था.. अवसर इस बार भी था पर राहुल ने ज्यादा लोगों को बताया नहीं था.. मोहित को भी नहीं...
राहुल के पिता का निधन हो गया था और उसके सामने मोहित, उसका परम-मित्र खड़ा था उसके साथ, उसके दुःख में..
वह मित्र जो उसकी किसी ख़ुशी में शामिल नहीं हो पाया था पर दुःख में उसके कंधे पर हाथ रख कर सांत्वना देता हुआ खड़ा था...
राहुल ज्यादा कुछ बोल नहीं पाया.. आश्चर्य से कुछ क्षण देखता रहा और फिर रोने लगा..
आज उसे एक गीत बिलकुल विपरीत मालूम हो रहा था - "सुख के सब साथी, दुःख में न कोई"
और सही भी था.. एक शहर में रहकर मिलना मुश्किल हो जाता है तो दूसरे-दूसरे शहरों में रहने वालों कि तो बात ही क्या..
राहुल और मोहित काफी अच्छे दोस्त थे पर दोनों कि नौकरी अलग-अलग शहरों में थी... उन्हें भी पता था कि अब किस्मत की बात है जब उनकी अगली मुलाक़ात हो..
कई साल बीत गए और राहुल की सगाई हुई और उसने मोहित को बुलाया.. पर नौकरी में व्यस्त रहने के कारण वह पहुँच नहीं पाया..
राहुल ने शादी में आने की पक्की बात कही और मोहित राज़ी भी हुआ.. पर बिलकुल अंतिम समय में उसे काम से विदेश यात्रा करनी पड़ी और वह फिर से राहुल कि ख़ुशी में शामिल ना हो सका..
अगला शुभ अवसर राहुल की बेटी होना था और इस बार मोहित खुद की शादी होने के कारण नहीं जा पाया..
राहुल को अब बहुत बुरा लगा कि हर ख़ुशी के मौके पर मोहित नहीं आता है पर वह भी इसके लिए कुछ कर नहीं सकता था...
फिर एक दिन कई सालों बाद मोहित राहुल के दरवाज़े पर खड़ा था.. अवसर इस बार भी था पर राहुल ने ज्यादा लोगों को बताया नहीं था.. मोहित को भी नहीं...
राहुल के पिता का निधन हो गया था और उसके सामने मोहित, उसका परम-मित्र खड़ा था उसके साथ, उसके दुःख में..
वह मित्र जो उसकी किसी ख़ुशी में शामिल नहीं हो पाया था पर दुःख में उसके कंधे पर हाथ रख कर सांत्वना देता हुआ खड़ा था...
राहुल ज्यादा कुछ बोल नहीं पाया.. आश्चर्य से कुछ क्षण देखता रहा और फिर रोने लगा..
आज उसे एक गीत बिलकुल विपरीत मालूम हो रहा था - "सुख के सब साथी, दुःख में न कोई"
dukh me bahut kam log shamil hote hain
जवाब देंहटाएंसुन्दर और प्रेरक कथा, दुख में साथ रहना चाहिये।
जवाब देंहटाएंअसल दोस्त की पहचान तो दुख में ही होती है...
जवाब देंहटाएंदोस्त हो तो ऐसा...दोस्तों की बेवफाई के चर्चे ज्यादा होते हैं...पर सच्चे दोस्त भी होते हैं...जो किस्मत वालों को मिलते हैं...
जवाब देंहटाएंDear Prateek,I liked every thing in yr blog,you,yr songs and presentation and the sentimental article on friendship.
जवाब देंहटाएंYr blog is fine,well planned and full of imagination.My best wishes for a bright future.I want to know in detail about you.I am a Professor in Hindi in Govt TRSCollege Rewa MP.My contact no is 9425898136.
yours sincerely
dr.bhoopendra
असल दोस्त की पहचान तो दुख में ही होती है| सुन्दर और प्रेरक कथा|
जवाब देंहटाएंसार्थक पोस्ट ..सच को समझने और कहने का आपका अंदाज निराला है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण कहानी ! किसीने सच ही कहा है ,"A friend in need is a friend indeed." पिता के निधन के समय मोहित के आने पर राहुल को जितनी सांत्वना और भावनात्मक सपोर्ट मिला होगा वह उसके विवाह में सम्मिलित होने पर शायद नहीं मिलता ! मित्रता को परिभाषित करती एक सुन्दर कथा !
जवाब देंहटाएंa friend in need is friend indeed...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ! सच है कि सच्चा मित्र हमेशा दुःख के घडी में साथ रहता है ...
जवाब देंहटाएंबढिया कथा लेखन के लिए बधाई :)
जवाब देंहटाएंसच्चा दोस्त तो वही है जो दुःख में भी साथ दे...
जवाब देंहटाएंप्रेमरस.कॉम
सच तो यह है की भले ही खुशी के अवसर पर शामिल न हो पर दुःख के समय जो शामिल हो वही सच्चा दोस्त है ...
जवाब देंहटाएंA FRIEND IN NEED IS A FRIEND INDEED
जवाब देंहटाएंबुरे वक्त पर सही दोस्त ही सामने आते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कहानी, सुख मे तो सभी मित्र होते हे, असली कसोटी तो दुख मे होती हे, धन्य्वाद
जवाब देंहटाएंBAHUT BHAVPOORN TAREEQE SE APNI BAT KAHI AP NE ,,,DUNIYA AAJ BHI AISE HI LOGON KE BAL PAR CHAL RAHI HAI AUR SACHCHI DOSTI SE BADH KAR TO KOI NEMAT HI NAHIN
जवाब देंहटाएंbehatar!
जवाब देंहटाएंदोस्त व दुश्मन का फ़र्क जरुरत पडने पर पता चल जाता है,
जवाब देंहटाएंPrateek dil ko choo lene vali rachna hai aapki .badhai swikar kare .
जवाब देंहटाएंप्रेरक लघु कथा....
जवाब देंहटाएंसच्चा मित्र तो वाही होता है जो दुःख की घड़ियों में साथ दे |
prateek ji aaj din me aapka blog dekha aur aapke lekhan aur aawaz ne itna prabhavit kiya ki main use ye blog achchha laga par liya hai.aap yadi kuchh samay nikal kar hamare is blog par upasthit honge to hame khushi hogi.blog ka url hai-
जवाब देंहटाएंhttp://yeblogachchhalaga.blogspot.com
प्रेरक ... दोस्ती की मिसाल तो दुःख के बादल आने पर ही मजार आती है ...
जवाब देंहटाएंprateek ji isi ko to dosti kehte hain
जवाब देंहटाएंsukh me bhale hi na aa paye par dukh me saath nibhaye :)
bahut sundar prastuti
शशक्त और सारगर्भित कहानी ..किसी के सुख में एक बार को शामिल न भी हो पाओ कोई बात नहीं लेकिन दुःख में शामिल हो सको ऐसी कोशिश करनी चाहिए
जवाब देंहटाएंachchhi laghukatha hai ...
जवाब देंहटाएंbadhai evam shubhkamnayen.
यूँ भी खुशी आप सब के साथ बाँट लेंगे पर दर्द बांटने के लिए कुछ खास ही लो... .अपने लगते हैं
जवाब देंहटाएंbahut khub....
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही बात काही है आपने।
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