नया क्या?

गुरुवार, 7 मई 2009

बेईमान तूफ़ान

बिखरते पत्तों का चेहरे पर लगना,
ठंडी हवा का ज़ुल्फों को चूमना,
खुशबू मिट्टी की तन में उतरना
और हमारा सड़कों पर बेफिक्री से भीगना....
आज मौसम बड़ा बेईमान है, आया यहाँ कोई तूफ़ान है...

ढलता सूरज नहीं,
यह तो बादल का आंचल है,
यह सन्नाटा सुनसान नहीं,
बस आंधी की आहट है,
आज मौसम बड़ा बेईमान है,
आया यहाँ कोई तूफ़ान है...

1 टिप्पणी:

ज़रा टिपिआइये..