वैसे तो ४ राज्यों में चुनाव हो गए हैं पर अभी लोक सभा चुनाव जैसा शेर आने को तैयार हो रहा है तो यह कृति तब के लिए भी उतना अर्थ रखेगी।
यह कविता एक प्रतियोगिता के तहत लिखी थी पर उसका परिणाम आया नहीं है सो अब ब्लॉग पर डाल रहा हूँ। आशा है कि आप भी एक जागरूक भारतीय कि तरह अपने हक यानी "वोट" का इस्तेमाल ज़रूर करेंगे।
माना कि हम में से कईयों के १-२ दिन की छुट्टी ले कर अपने अपने इलाके में जा कर वोट करना होगा पर देश के लिए ५ साल में १-२ दिन निकालना हमारा फ़र्ज़ है।
और ज्यादा नहीं कहूँगा, आप कविता पढ़ सकते हैं और स्व-संगीतबद्ध सुन भी सकते हैं।
बताइयेगा कैसा लगा।
"दसवीं पास है लड़का" सुनकर, नाक-भौं सिकोड़ते हो
"इंजीनियर है लड़का" सुनकर, पूरे तुम अकड़ते हो
पर
"अंगूठा छाप है नेता" सुनकर
क्यों आती नहीं चेहरे पर सिकुड़न?
पांचवी फेल नेता को चुनकर
भी क्यों है ये तुममें अकड़न?
जो पढ़ नहीं सकता "क ख ग़ घ"
क्या गढ़ पाएगा वह इतिहास?
चुनो पढ़े-लिखे सच्चों को
तभी होगा देश का विकास!
"वो है बलात्कारी" सुनकर, थूकते नहीं तुम थकते हो
"वो है व्यभिचारी" सुनकर, बंद दरवाज़े करते हो
पर
बलात्कार करता नेता तो
थूक को क्यों पी लेते हो?
अनाचारी नेता को घर में
क्यों तुम घुसने देते हो?
दामिनियों की लूटता इज्ज़त
क्या कर पाएगा उनकी रक्षा?
चुनो सदाचारी नेता को
तभी मिलेगी हमें सुरक्षा!
"एक गुंडा पकड़ा चौराहा पर", सुनके हाथ गरमते हो
"एक चोर पकड़ा पब्लिक में", तब तो खूब गरजते हो
पर
जब जीते चुनाव एक गुंडा
तब तुम क्यों नरमते हो?
जब चोर बनता है साहूकार
तब क्यों नहीं तुम गरजते हो?
जो लूटता है अपने लोगों को
क्या जुट पाएगा देश के लिए?
चुनो साफ छवि नेता को
बदलने परिवेश के लिए!
चंद पैसे खरीदे इज्ज़त तुम्हारी, तब बातें बड़ी तुम करते हो
चंद सिक्के तोले ज़मीर तुम्हारी, तब ज्ञानी बड़े तुम बनते हो
पर
जब बिकता है परिवार वोटों में
तब बातों से क्यों छुपते हो?
जब नेता करता लोभ पर शासन
तब ज्ञान कुँए में ढकेलते हो?
खरीदता है वोट जो नेता
क्या देश को न बेच आएगा?
चुनो सशक्त, अभिमानी नेता
भ्रष्टाचार मिट्टी में मिलाएगा!
चुनो उसे जो भ्रष्ट दिलों में
कहर बन कर छाएगा
चुनो उसे जो तुममें, मुझेमें
सुरक्षा भाव फैलाएगा
चुनो उसे जो कल के युग में
शिक्षा समृद्धि लाएगा
चुने उसे जो गरीबों को भी
स्वाभिमानी बनाएगा
चुनो उसे जो लोगों की खातिर
तन-मन अपना लुटाएगा
चुनो उसे जो देश की खातिर
जीवन अपना बिताएगा!
यह कविता एक प्रतियोगिता के तहत लिखी थी पर उसका परिणाम आया नहीं है सो अब ब्लॉग पर डाल रहा हूँ। आशा है कि आप भी एक जागरूक भारतीय कि तरह अपने हक यानी "वोट" का इस्तेमाल ज़रूर करेंगे।
माना कि हम में से कईयों के १-२ दिन की छुट्टी ले कर अपने अपने इलाके में जा कर वोट करना होगा पर देश के लिए ५ साल में १-२ दिन निकालना हमारा फ़र्ज़ है।
और ज्यादा नहीं कहूँगा, आप कविता पढ़ सकते हैं और स्व-संगीतबद्ध सुन भी सकते हैं।
बताइयेगा कैसा लगा।
"दसवीं पास है लड़का" सुनकर, नाक-भौं सिकोड़ते हो
"इंजीनियर है लड़का" सुनकर, पूरे तुम अकड़ते हो
पर
"अंगूठा छाप है नेता" सुनकर
क्यों आती नहीं चेहरे पर सिकुड़न?
पांचवी फेल नेता को चुनकर
भी क्यों है ये तुममें अकड़न?
जो पढ़ नहीं सकता "क ख ग़ घ"
क्या गढ़ पाएगा वह इतिहास?
चुनो पढ़े-लिखे सच्चों को
तभी होगा देश का विकास!
"वो है बलात्कारी" सुनकर, थूकते नहीं तुम थकते हो
"वो है व्यभिचारी" सुनकर, बंद दरवाज़े करते हो
पर
बलात्कार करता नेता तो
थूक को क्यों पी लेते हो?
अनाचारी नेता को घर में
क्यों तुम घुसने देते हो?
दामिनियों की लूटता इज्ज़त
क्या कर पाएगा उनकी रक्षा?
चुनो सदाचारी नेता को
तभी मिलेगी हमें सुरक्षा!
"एक गुंडा पकड़ा चौराहा पर", सुनके हाथ गरमते हो
"एक चोर पकड़ा पब्लिक में", तब तो खूब गरजते हो
पर
जब जीते चुनाव एक गुंडा
तब तुम क्यों नरमते हो?
जब चोर बनता है साहूकार
तब क्यों नहीं तुम गरजते हो?
जो लूटता है अपने लोगों को
क्या जुट पाएगा देश के लिए?
चुनो साफ छवि नेता को
बदलने परिवेश के लिए!
चंद पैसे खरीदे इज्ज़त तुम्हारी, तब बातें बड़ी तुम करते हो
चंद सिक्के तोले ज़मीर तुम्हारी, तब ज्ञानी बड़े तुम बनते हो
पर
जब बिकता है परिवार वोटों में
तब बातों से क्यों छुपते हो?
जब नेता करता लोभ पर शासन
तब ज्ञान कुँए में ढकेलते हो?
खरीदता है वोट जो नेता
क्या देश को न बेच आएगा?
चुनो सशक्त, अभिमानी नेता
भ्रष्टाचार मिट्टी में मिलाएगा!
चुनो उसे जो भ्रष्ट दिलों में
कहर बन कर छाएगा
चुनो उसे जो तुममें, मुझेमें
सुरक्षा भाव फैलाएगा
चुनो उसे जो कल के युग में
शिक्षा समृद्धि लाएगा
चुने उसे जो गरीबों को भी
स्वाभिमानी बनाएगा
चुनो उसे जो लोगों की खातिर
तन-मन अपना लुटाएगा
चुनो उसे जो देश की खातिर
जीवन अपना बिताएगा!
वाह!
जवाब देंहटाएंसही कहा मित्र!
जवाब देंहटाएंवाह मस्त है जी ...
जवाब देंहटाएंबहुत सही- सटीक!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंप्रश्न सच में कठिन हैं, उत्तर भविष्य अवश्य देगा।
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