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मंगलवार, 11 जून 2013

संगीत बन जाओ तुम!

कब तक इस नकली हवा की पनाह में घुटोगे तुम?
आओ, सरसराती हवा में सुरों को पकड़ो तुम
संगीत बन जाओ तुम!

कब तक ट्रैफिक की ची-पों में झल्लाओगे तुम?
आओ, उस सुदूर झील की लहरों को सुनो तुम
संगीत बन जाओ तुम!

कब तक अपनी साँसों को रुपयों में बेचोगे तुम?
आओ, आज़ाद साँसों की ख्वाहिश सुनो तुम
संगीत बन जाओ तुम!

कब तक कानाफूसी से कानों को भर्राओगे तुम?
आओ, चंद पल शान्ति की मुरली बजाओ तुम
संगीत बन जाओ तुम!

कब तक उस चीखते डब्बे को सहोगे तुम?
आओ, बच्चों की हंसी में उस लय को पकड़ो तुम
संगीत बन जाओ तुम!

कब तक इन सिक्कों की खनखनाहट तले दबोगे तुम?
आओ, घुँघरू की आहट को पहचानो तुम
संगीत बन जाओ तुम!

कब तक टूटे हुए दिल के टुकड़ों का मातम बनाओगे तुम?
आओ, उस एक दिल की धड़कन में समां लो तुम
संगीत बन जाओ तुम!

कब तक जिन्दगी की ज़ंजीर में घिसोगे तुम?
आओ, अपनी आज़ादी में गाओ तुम
संगीत बन जाओ तुम!
संगीत बन जाओ तुम!

9 टिप्‍पणियां:

  1. कब तक ट्रैफिक की ची-पों में झल्लाओगे तुम?
    आओ, उस सुदूर झील की लहरों को सुनो तुम
    संगीत बन जाओ तुम!
    very nice

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  2. आओ, अपनी आज़ादी में गाओ तुम
    संगीत बन जाओ तुम!
    संगीत बन जाओ तुम!

    बहुत सुंदर उम्दा प्रस्तुति,,,

    recent post : मैनें अपने कल को देखा,

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  3. बहुत लाजवाब रचना है ...
    संगीत बन जाए जीवन तो आनद ही आनद है ...

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  4. कैसा होगा जब तुम संगीत नहीं मेरा जीवन संगीत बन जायोगे.

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  5. बहुत अच्छा लिखा प्रतिक ...जाना पहचाना लग रहा है।

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  6. Bahut sundar rachna hai. Asa hai babdishon se mukt ..aazad zindagi ki nayi nayi subah achhi rahegi.....
    Likho aur likho....

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  7. कब तक अपनी साँसों को रुपयों में बेचोगे तुम?
    आओ, आज़ाद साँसों की ख्वाहिश सुनो तुम
    संगीत बन जाओ तुम!खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |

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