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मंगलवार, 7 अगस्त 2012

त्यौहार, मौज-मस्ती, ज़िन्दगी!

त्यौहारों का मौसम फिर से शुरू हो रहा है और हाँ छुट्टी का मौसम भी.. :)
बारिश के अकाल की तरह छुट्टियों का यह अकाल हर नौकरी-पेशा इंसान को तंग करता है..

अब त्यौहारों का मौसम भी एक ऐसे त्यौहार से जिसकी हमारी समाज में जड़ें बहुत गड़ी हुई हैं और जो समय के साथ-साथ अपने रंग बदलता रहता है और यही कारण है कि यह समाज के हर वर्ग, हर उम्र को उतना ही पसंद आता है..

सभी भाइयों और बहनों को रक्षाबंधन की शुभकामनाएं.. मुझे बधाई बाद में दीजियेगा क्योंकि माहेश्वरी समाज की राखी २० दिन बाद होती है (कारण ढूँढने की कोशिश की है पर अभी तक सफल नहीं हुआ हूँ)
मैं समझता हूँ कि हर प्रथा और प्रचालन के पीछे कोई कारण होता है और बहुत ही वैज्ञानिक कारण | हमारे पूर्वज हमसे काफी आगे थे | विज्ञानं में भी और समझदारी में भी | पर आज समाज में हम अंधाधुंध प्रथाओं को अपना अभिन्न अंग बना रहे हैं जो कि बहुत सही नहीं है | ज़रूरत है हर कार्य के पीछे छुपे राज़ को समझने की और उसे आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने की |

दोस्ती दिवस भी २ दिन पहले ही गया है | क्यों मनाते हैं यह तो आपको विकिपीडिया पढ़ने पर पता चल जाएगा | दरअसल ग्रीटिंग कार्ड बनाने वाली कम्पनी, हॉलमार्क ने यह प्रथा अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए शुरू की थीजिसका विरोध हुआ और यह प्रथा बंद हो गयी | पर पिछले कुछ सालों में इस दिन ने फिर से लोगों के दिलों-दिमाग को अपनी आगोश में लिया और आज यह फिर से एक प्रचलित प्रथा बन चुकी है | खैर मैं तो समझता हूँ कि हम भारतीय ख़ुशी के मौकों को छोड़ते नहीं हैं | यही हमें बाकी सब देशों से अलग रखता है | हम बहाने ढूंढते हैं खुश रहने के इसलिए हम जिंदादिल हैं और आशा है कि हम इसी जिंदादिली से ज़िन्दगी जीयेंगे पर हाँ इसके लिए अपने बटुए में रखे पैसों से ज्यादा खर्च ना करें तो ही बेहतर है :) | पैसों से भौतिक वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं पर असली ख़ुशी तो हमें अपने दोस्तों के साथ ही मिलेगी |

अब यह गया नहीं कि २ दिन बाद जन्माष्टमी है यानी एक और दिन जिंदादिली का! फिर कृष्ण तो देवों में सबसे नटखट, चुलबुले और सर्वगुण-संपन्न माने गए हैं | क्यों न उसी राह पर चलते हुए हम भी ऐसी ही ज़िन्दगी जीयें? यही इच्छा है कि आप भी मक्खन का स्वाद ले पाएं (मिश्रित ही सही :P)

जन्माष्टमी के बाद स्वतंत्रता दिवस! देश भारतीयता में लीन हो जाएगा या फिर छुट्टी मनाएगा | आप स्वतः यह निर्णय लें की आप कौन से कटघरे में खड़े होना चाहते हैं | वैसे अगर आप देशभक्ति के कुछ गीत गुनगुनाना चाहते हैं तो उनके बोल यहाँ से देख सकते हैं |

स्वतंत्रता दिवस के बाद आ रहा है ईद-उल-फ़ित्र और यह दिन रमज़ान का आखिरी दिन होगा और मुस्लिम भाई रोज़ा तोड़ते हुए व्यंजनों का स्वाद और नए कपड़ों से सराबोर होंगे और अपनी जिंदादिली पेश करेंगे |

कहने का अर्थ ये है कि भैया अब मौसम शुरू हो गया है मस्ती का और खुमार चढ़ रहा है सबका दिल! पर हमारी आपको हिदायत है कि दिल थाम के और संभाल के बैठिये क्योंकि पिक्चर तो अभी बाकी है गुरु!
ज़िन्दगी की परेशानियों को कुछ देर के लिए भूल जाने के लिए ही यह त्यौहार बनाए गए हैं और अगर हम इन सब त्योहारों का आनंद नहीं उठा रहे हैं तो मनन करने की सख्त आवश्यकता है |

कल की खबर नहीं, परसों का भरोसा नहीं,
सोच रहा है बरसों बाद होगा क्या?
इस पल को यूँ सोच-सोच बर्बाद कर रहा है तू,
तू क्यों न इस "पल" ही को जीता?

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही बात काही है आपने

    सादर

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  2. बहुत अच्‍छी और सार्थक पोस्‍ट thanks.

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  3. मौसम की खुमारी सर चढ़ कर बोल रही है.....
    :-)
    ENJOY...........
    ANU

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  4. त्यौहारों के विषय में आपकी यादाश्त बढ़िया रही. हर त्यौहार की आपको हार्दिक बधाई प्रतीक जी.

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  5. त्योहारो की अपनी मस्ती अपना मजा होता है....नहीं तो जीवन सूना सूना होजाता है.. हर त्यौहार की आपको हार्दिक बधाई प्रतीक ....

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  6. सच कहा है .. अगर जीवन को आज की तरह ही जिया जाय तो उसका मज़ा अलग ही होगा ...
    आपको सभी त्योहारों की बधाई ..

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