नया क्या?
रविवार, 14 फ़रवरी 2010
व्यापार बढ़ ही रहा है..लोग बन ही रहे हैं !!
कुछ लिखने कि इच्छा तो नहीं थी पर फिर सोचा अच्छा दिन है.. लिखना चाहिए..
लिख इसलिए नहीं रहा हूँ कि आज वैलेनटाइन्स डे है... बस कुछ सोच को शब्दों का रूप देने के लिए लिख रहा हूँ..
कुछ लोग एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं.. इस तरह - स्वतंत्र दिवस मुबारक हो.. अर्थात अकेले हो, खुश हो, आबाद रहो...
भैया ये सब तो दुःख छुपाने के टोटके हैं.. अन्दर ही अन्दर कुढ़ते होंगे.. गुदगुदी तो होती ही होगी.. कि काश वो मेरे साथ होती या होता.. पर जनाब छुपाने का पुराना तरीका.. सिंगल एंड हैप्पी !
वैसे मेरा मानना है कि ये सब व्यापार बढाने का तरीका है.. अरे बाबू, ऐसा थोड़े ही ना है कि आप किसी से साल में एक ही दिन प्यार करते हो और बाकी ३६४ दिन किसी दूसरे की तलाश में जुटे रहते हो? फिर यही एक दिन? सब व्यापार बढाने के तरीके हैं.. और सफल भी हैं..
लोगों को दिल का भुलावा देकर बड़े ही आराम से उल्लू सीधा किया जाता है और लोग करवाते भी है !
खैर जो बन रहे हैं.. बनिए.. और जो नहीं बन रहे हैं वो ही सच्चे "बनिये" हैं !!
पर फिर भी सोच रहा था की आजकल सिंगल एंड हैप्पी का चलन क्यों चला है?
मैं पुरुष सोच के हिसाब से यही कहूँगा :
लड़कीदोस्त(गर्लफ्रेंड) होती है तो खर्चे बढ़ जाते हैं.. फ़ोन भी आप ही करते हैं.. मिलने भी आप ही जाते हैं.. मूवी की टिकट भी आप ही को खरीदीनी पड़ती है.. खाने का बिल भी आप ही को देना पड़ता है.. सौ नखरे भी आप ही को सहने पड़ते हैं.. और कभी धरे गए तो पिटाई भी आप ही कि होती है.. उधर उसका भाई और इधर आपके पिताजी !
तो बात यह बनती है कि किसी लड़की के प्रवेश करने से अगर आपकी ज़िन्दगी इतनी नाकारा हो जाती है तो बेहतर है कि प्रवेश द्वार बंद ही रखी जाय.. इसीलिए लोग कहते हैं.. सिंगल एंड हैप्पी.. मैं भी (फिलहाल) इस बात को मानता हूँ..
तो अगर प्यार करना है तो यही गाना गाते हुए करिए - "जब प्यार किया तो डरना क्या" और मार खाते वक़्त भुनभुनाईयेगा - "मार डाला" ...
और अगर नहीं करनी है तो ये गाना गाइए - "है अपना दिल तो आवारा" .. या फिर सुनिए - "है अपना दिल तो आवारा मेरी आवाज़ में" ...
और जो लोग आज़ादी दिवस मानना चाहते हैं उनसे कहूँगा कि देश को आज़ाद करिए.. आप खुद आज़ाद हो जाएँगे.. पुणे में बम धमाके हुए हैं.. थोड़ा प्यार उधर भी बाँट दीजियेगा.. पैसों से बाहर के घाव भरते हैं.. अन्दर के नहीं..
प्यार करना है तो हर इंसान से करो... एक अलग अनुभूति होगी..
हो सकता है आतंकवाद भी ख़तम हो.. कोशिश करते रहिये..
बाकी तो व्यापार बढ़ ही रहा है और लोग बन ही रहे हैं.. !!
जय राम जी की.. खुदा हाफिज़..
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Nice one.. but i dont think ki really isme bevkoof banne ki koi baat hai..i mean..haan business badh raha hai but then its ok na...we know what we are doing..and kisi ka nuksan nahi ho raha na isse.. and the day is just a symbol..to show u love or whatever..so its okay na!
जवाब देंहटाएंAnd yeah..wo sab to bahane hain apne gam ko chupane ke :)
इसीलिए लोग कहते हैं.. सिंगल एंड हैप्पी.. मैं भी (फिलहाल) इस बात को मानता हूँ..
जवाब देंहटाएंnice dear