तो अब आगे बढ़ते हैं | वहीँ से जहाँ से मैंने इस लड़ी को छोड़ा था |
ट्रेन कुछ 3 घंटे की देरी से गोवा पहुँची और हम 4 लोग शाम को 6 बजे कैम्पस पहुँच गए |
गोवा कैम्पस को तो बस चित्रों में ही देखा था |
पहली झलक में काफ़ी सुंदर लगा और वहीँ पर हॉस्टल में हमारे रहने का इंतजाम करवाया गया था |
चूँकि बिट्स गोवा नया बना था इसलिए हमे वहां के हॉस्टल यहाँ से ज़्यादा अच्छे लगे |
खैर अब बात करते हैं वहां के व्यवस्था की...
1. लोगों ने हमें पहले ही डरा दिया की "कृपया सापों से सावधान रहें, यहाँ नुक्कड़-नुक्कड़ पर खतरा है.."
एक बार तो यूँ लगा की जैसे वहां PS नहीं,डिस्कवरी चैनल की तरफ़ से कोई आदम ज़माने की खोज के
लिए आए हों और अब इन जानवरों के साथ रहने की आदत डालनी पड़ेगी |
वो बात अलग है की जिस जीव से हमें डरने को कहा गया था वो पूरे दो महीने हम आलसी पिलानी वालों
से मिलने ही नहीं आया और ना ही हमने कोई कोशिश की |
2. इसके बाद हमें वहां के 10:30 और 11:00 बजे का नियम/पाठ पढाया गया | हमें सख्ती से यह कहा गया कि
"जो आप 10:30 के बाद कैम्पस के बाहर रह गए, त्यों ही आप अपने बैंक एकाउंट खाली करवा देना और अगर आप 11:00 बजे के बाद हॉस्टल से बाहर रह गए तो, अपना दिमाग कमरे पर रख कर किसी बुद्धिजीवी से कुछ आधे-पौन घंटे का सत्संग सुनने पहुँच जाना | हमने कहा - "जो हुक्म मेरे आका" और जल्दी से वहां से निकल लिए |
3. इसके बाद खुशखबरी सुनाई गई कि मेस पूरे समय बंद रहेगा ( खुशखबरी इसलिए कि मेस "बंद" रहेगा पिलानी में दो साल एक ही मेस को झेलकर अच्छे-अच्छों के तोते उड़ जाते हैं ) | हमारा दाना-पानी IC में लिखा गया था जो कि हम पूरा करके सही सलामत वापस पिलानी पहुँच गए हैं - एक और खुशखबरी !!!!
कुछ ऐसे बंधनों के साथ हमने अपना PS का सफर शुरू किया....
PS-1 जैसा कि सुना था (अपने बड़े लोगों से - SENIORS) बिल्कुल वैसा ही रहा - आप समझ ही गए होंगे | अब कुछ बातें केवल समझने कि ही होती हैं कही नहीं जाती [:)] |
एक बात पक्की रही, PS Station से ज़्यादा मैंने वास्को,मडगाँव,पणजी और समुद्र तट पर समय गुजारी |
PS का काम था जाओ (बसों में रियायत के लिए झगड़ा करते हुए),दिखाओ (अपना चेहरा),लगाओ (थोड़ा दिमाग - कुछ ज़्यादा ही थोड़ा),मिलाओ (नए लोगों से हाथ),खाओ (Rs.3/- में डोसा),लाइब्रेरी जाओ (केवल सोने),सर उठाओ,पैर उठाओ,हाथ उठाओ,दिमाग मत उठाओ और वही के वहीँ किसी समुद्र तट की और रुखसत हो जाओ !!!!!!
तो आप समझ ही गए होंगे कि कैसा रहा हमारा PS-1 !!!!
आज लगता है कि और एक PS-1 होना चाहिए और फ़िर से गोवा में..अब क्या बताएँ,वो जगह ही ऐसी है |
खैर आपको बता दूँ कि मैंने कोल्वा,पालोलिम,मजोर्डा,कान्डोलिम,अगुआङा,अम्बोली,बायना,पणजिम,वास्को,मडगाँव और...
अब तो याद भी नहीं है सारे.इतनी जगह घूमी...
इन जगहों में से सबसे ज़्यादा पालोलिम,अम्बोली और वास्को पसंदीदा जगह रही जिन्हें अब केवल उन कैद लम्हों से ही याद रख पाता हूँ |
गोवा के अलावा मैं 2 बार मुंबई भी गया | ऑडिशंस देने - Indian Idol और Star Voice Of India के लिए | ये मेरे लिए पहला मौका था कि मैं इतने बड़े प्रोग्राम के लिए ऑडिशंस देने गया और मुंबई भी मैं पहली बार ही गया | एक बात पक्की समझ आ गई | आज अगर आपके पास केवल टैलेंट/गुण है तो आप कहीं के भी नहीं हैं - आपको आज पहुँच और किस्मत की भी बराबरी कि ज़रूरत है | मैं यह इसलिए नहीं कह रहा हूँ क्योंकि मैं वहां नहीं चुना गया, पर इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैंने उस पल को जिया है जब जज ने केवल मेरे गाने के बोल सुनकर ही मुझे रूम से बाहर निकाल दिया | वो पल इतना बुरा लगने वाला पल था क्योंकि मैं 12 घंटे लगाकर गोवा से मुंबई आया और मुझे अपने आप को साबित करने के लिए 12 सेकंड्स भी नहीं मिले |
खैर संघर्ष ही ज़िन्दगी का नाम है और मैं भी इसी ज़िन्दगी का एक हिस्सा हूँ | आपको यह बता दूँ कि Star Voice of India में मैं दूसरे चरण में पहुँचने में कामयाब रहा जो कि मेरे इतने लंबे सफर कि एक छोटी से उपलब्धि ज़रूर रही | मुंबई में Essel World जैसी जगह में जा कर जीवन के एक अलग ही छोर में अपने आपको महसूस किया | मेरे साथ तपन और राम ने भी इस छोर को पकड़ा और उस जोश और होश का आनंद उठाया |
गोवा से जाते जाते मैं कुछ चीज़ों को कभी नहीं भुला पाया और ना ही शायद भुला पाऊंगा -
1. लोटा लेकर प्रकृति के बुलावे के लिए जाना और बैठने के बाद पता चलना कि नल में पानी नहीं है..
2. छाता खुलने से पहले ही भीग जाना और खुल जाने के बाद तपती धूप से बचना..
3 .झोपड़ी जाते वक्त जूते पहनना और वापस सलामत पहुँचने पर दोस्त को गलियाना कि - बेकार ही इतनी मेहनत की, वो सांप साला फ़िर से नज़र नहीं आया |
4. कभी-कभी केवल दूध और ब्रेड से ही खाना खाने का काम निकालना |
5. बारिश होने से आधे घंटे पहले ही रूम से बत्ती का गुल हो जाना |
6. इंस्टी बिल्डिंग के सामने बैठकर खूब टाइम-पास करना |
7. गूंजन मॉल (मल से मॉल हो गया है वो) कि क्रिकेट/टेनिस(शारापोवा)/यूँ ही काफ़ी खिचाई करना |
8. बस में १० जनों का बेसुरे स्वर में एक ही गाना गाना |
9. कैम्पस गेट के सामने खड़े हो कर घंटे भर "LIFT" माँगना और नहीं मिलने पर PS नहीं जाना |
10.वो प्राकृतिक सुन्दरता और सौम्यता जो कि अब हमसे कोसों दूर है |
अब कुछ छायाचित्र और बातें ही रह गई हैं जो यादें बनकर इस ज़हन में घर कर गई हैं...
क्या पता मैं फ़िर से उसी आजादी, उसी जोश,वही दोस्तों और उसी दिल के साथ ऐसे जन्नत का एहसास कर पाऊंगा या नहीं...
उन शानदार लम्हों को आपके साथ बांटते हुए मैं आप से आज्ञा लेता हूँ....
-प्रतीक
नया क्या?
सोमवार, 25 अगस्त 2008
सोमवार, 14 जुलाई 2008
घर से गोवा


घर से 18 तारीख को कलकत्ता के लिए रवाना हुआ और 19 को अपने चचेरे भाई के साथ कलकत्ता घूमने गया..
रात को 11:30 की ट्रेन पकड़नी थी..मुझे बस यही पता था की गूंजन और श्रेणिक ही मेरे साथ हैं...पर जब स्टेशन पहुँचा तो जय से भी मुलाक़ात हो गई और अब हम 3 से 4 हो गए !!!
अब हम चारों गोवा के लिए बिल्कुल तैयार थे...हाँ सही में...गोवा के लिए...PS वो क्या होता है...no idea !!!
चूँकि मेरी सीट AC में थी इसीलिए हम फ़िर से 4 से 3 हो गए..मतलब वो 4 से 3 और मैं 4 से 1....
पर एक बात बिल्कुल सटीक है...मेरे से ज़्यादा गूंजन और जय ने AC के मज़े लुटे..
जब समय धीरे धीरे इस लंबे समय में गति पकड़ने लगी तो एक ख्याल आया कि जैसे-जैसे समय गति पकड़ रही थी उसी तेजी से ट्रेन अपनी गति धीमी कर रही थी...दंडवत प्रणाम भारतीय रेलवे को...
सुबह-सुबह ये दोनों आ धमके मेरे कोच में मज़े लूटने और मैंने भी भारी दिल से इनका स्वागत किया..
अब जब मिल बैठें 3 bitsians तो फ़िर क्या-क्या डिस्कस नहीं हो जाता है..बताइए ?
कुछ देर तक tp किया और फ़िर lite ले लिया..
जय तो चला गया पर गूंजन अभी भी chewing gum की तरह चिपका हुआ था..मैं यह सोचूं कि आज अगर यह नहीं गया तो मैं पिटूँगा..अब हमारे गूंजन साहब इतने फोडू हैं की क्या बताएं..ये इतनी ज़ोर-ज़ोर से कमेंट्स पास करते हैं की दूसरे बोगी में बैठे लोग भी जान जाएं..
फ़िर शाम को हमारी मुलाकात मेरे ही कम्पार्टमेंट में बैठी 3 लड़कियों से हुई...जिसमें 2 तो बहनें थी कोलकाता से और 1 गोवा में ही जॉब कर रही थीं..
जब हम गोवा की और बढ़ते चले गए तो हस्सें वादियाँ अपना रंग जमाने लगी...
लड़कियों ने हमें इन सभी चीज़ों के बारे में काफ़ी जानकारी दी...अब क्या बताएं इन लड़कियों के बारे में..??
सारी बेकार की चीज़ों के बारे में इनको पूरी जानकारी होती है और सभी अच्छी चीज़ों को ये स्किप कर जाती हैं...
वैसे इनको धन्यवाद..इन्होनें काफ़ी अच्छी बातें बताईं....
रास्ते में हमने LUDO का आनंद भी उठाया और मॉल साहब ने बगल में बैठे चचा जान की चुनौती को स्वीकार करते हुए सभी को कड़ी शिकस्त दी और चचा जान को अच्छा जवाब दिया...छा गए मॉल साहब..
अगले दिन हम गोवा करीबन 4 घंटे की देरी से पहुंचे, एक दूसरे को आदाब कहा और अपनी छुट्टी का आनंद उठाने को तैयार हो गए...


-प्रतीक
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