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सोमवार, 14 जुलाई 2008

घर से गोवा











घर से 18 तारीख को कलकत्ता के लिए रवाना हुआ और 19 को अपने चचेरे भाई के साथ कलकत्ता घूमने गया..
रात को 11:30 की ट्रेन पकड़नी थी..मुझे बस यही पता था की गूंजन और श्रेणिक ही मेरे साथ हैं...पर जब स्टेशन पहुँचा तो जय से भी मुलाक़ात हो गई और अब हम 3 से 4 हो गए !!!
अब हम चारों गोवा के लिए बिल्कुल तैयार थे...हाँ सही में...गोवा के लिए...PS वो क्या होता है...no idea !!!

चूँकि मेरी सीट AC में थी इसीलिए हम फ़िर से 4 से 3 हो गए..मतलब वो 4 से 3 और मैं 4 से 1....
पर एक बात बिल्कुल सटीक है...मेरे से ज़्यादा गूंजन और जय ने AC के मज़े लुटे..
जब समय धीरे धीरे इस लंबे समय में गति पकड़ने लगी तो एक ख्याल आया कि जैसे-जैसे समय गति पकड़ रही थी उसी तेजी से ट्रेन अपनी गति धीमी कर रही थी...दंडवत प्रणाम भारतीय रेलवे को...

सुबह-सुबह ये दोनों आ धमके मेरे कोच में मज़े लूटने और मैंने भी भारी दिल से इनका स्वागत किया..
अब जब मिल बैठें 3 bitsians तो फ़िर क्या-क्या डिस्कस नहीं हो जाता है..बताइए ?
कुछ देर तक tp किया और फ़िर lite ले लिया..
जय तो चला गया पर गूंजन अभी भी chewing gum की तरह चिपका हुआ था..मैं यह सोचूं कि आज अगर यह नहीं गया तो मैं पिटूँगा..अब हमारे गूंजन साहब इतने फोडू हैं की क्या बताएं..ये इतनी ज़ोर-ज़ोर से कमेंट्स पास करते हैं की दूसरे बोगी में बैठे लोग भी जान जाएं..

फ़िर शाम को हमारी मुलाकात मेरे ही कम्पार्टमेंट में बैठी 3 लड़कियों से हुई...जिसमें 2 तो बहनें थी कोलकाता से और 1 गोवा में ही जॉब कर रही थीं..
जब हम गोवा की और बढ़ते चले गए तो हस्सें वादियाँ अपना रंग जमाने लगी...
लड़कियों ने हमें इन सभी चीज़ों के बारे में काफ़ी जानकारी दी...अब क्या बताएं इन लड़कियों के बारे में..??
सारी बेकार की चीज़ों के बारे में इनको पूरी जानकारी होती है और सभी अच्छी चीज़ों को ये स्किप कर जाती हैं...
वैसे इनको धन्यवाद..इन्होनें काफ़ी अच्छी बातें बताईं....

रास्ते में हमने LUDO का आनंद भी उठाया और मॉल साहब ने बगल में बैठे चचा जान की चुनौती को स्वीकार करते हुए सभी को कड़ी शिकस्त दी और
चचा जान को अच्छा जवाब दिया...छा गए मॉल साहब..

अगले दिन हम गोवा करीबन 4 घंटे की देरी से पहुंचे, एक दूसरे को आदाब कहा और अपनी छुट्टी का आनंद उठाने को तैयार हो गए...











-प्रतीक


1 टिप्पणी:

  1. प्रिय भाई प्रतीक माहेश्वरी जी
    सस्नेह अभिवादन !

    आपकी इतनी पुरानी पोस्ट को अब पढ़ कर जा रहा हूं …:)
    मस्त मज़ेदार !
    अब क्या बताएं इन लड़कियों के बारे में..??
    सारी बेकार की चीज़ों के बारे में इनको पूरी जानकारी होती है और सभी अच्छी चीज़ों को ये स्किप कर जाती हैं...

    नॉटी ;)

    लेकिन आपका कोई अन्य ब्लॉग है क्या ?
    हो तो लिंक भेजें … वरना कुछ नया लगाओ भाई !
    हां , आपकी आवाज़ मेंछू कर मेरे मन को किया तूने क्या इशारा गाना सुना है , अच्छा प्रयास है …
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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