यह छोटी सी कृति मेरी माँ के जन्मदिन पर लिख रहा हूँ...
बस अपने भावों को कुछ शब्द देने की कोशिश कर रहा हूँ...
बहुत मुश्किल है उस अन्दर छुपे अनंत भाव को शब्दों में बदलना...
बस एक कोशिश है...
सूरज की गर्मी और भव्यता हो तुमबस अपने भावों को कुछ शब्द देने की कोशिश कर रहा हूँ...
बहुत मुश्किल है उस अन्दर छुपे अनंत भाव को शब्दों में बदलना...
बस एक कोशिश है...
आसमान की नीलाई और विशालता हो तुम
सागर की गहराई और अथाह हो तुम
ओंस की शीतलता और ठंडक हो तुम
धरती की सहनशीलता और सघनता हो तुम
पहाड़ की उंचाई और स्थिरता हो तुम
पंछी का कलरव और आज़ादी हो तुम
पेड़ों की छाँव और जीवन हो तुम
यह बता दो कौन नहीं हो तुम ?
यह बता दो किसमें नहीं हो तुम ?
जब हर ज़र्रे में हो तुम
जब हर बात हो तुम
तभी हमारी इबादत हो तुम
तभी हमारा सम्मान हो तुम
हाँ माँ,
तुम्हारे सामने ये मस्तक हैं नम..
तुम्हारे सामने ये मस्तक हैं नम..
सागर की गहराई और अथाह हो तुम
जवाब देंहटाएंओंस की शीतलता और ठंडक हो तुम
धरती की सहनशीलता और सघनता हो तुम
पहाड़ की उंचाई और स्थिरता हो तुम
bahut sunder rachana maa ke liye,maa aisi hi hoti hai,unko janam din ki dheron badhai
कहते हैं कि-
जवाब देंहटाएंठंढ़क माँ के नाम की गरमी को शरमाए।
ममता ले आँचल से धूप भी छनकर आए।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत बढिया लिखा आपने अपनी मां के लिए ... उन्हें जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंYe jo duniya hai-ye van hai kanton ka, tu phulwari hai - O maa, o maa...Birthday wishes to your Maa from my side also.
जवाब देंहटाएंNice post Pratik...Keep rocking