नमस्ते दोस्तों,
अचानक ही दिल में ख्याल आया और यह मैं आप लोगों के साथ बांटना चाहता हूँ | पिछले कुछ सालों में मैंने [और आपने भी] कॉलेजों में आत्महत्या [suicide] के बारे में काफ़ी कुछ सुना होगा, पढ़ा होगा | लेकिन हम में से काफ़ी कम लोगों ने ही उस पर ध्यान देने की कोशिश की होगी क्योंकि यह शायद हमारे आस-पास नहीं हुआ होगा और ना ही हम उस इंसान को पहचानते/जानते होंगे | खैर यह तो हर इंसान में एक दुर्गुण है [मैं भी शामिल हूँ जनाब] कि जब तक कोई बात आपसे या आपके जान पहचान वाले से ना हो तो उस पर ध्यान देना एक फिजूल बात हो जाती है |
मेरे ख़याल से तनाव दो कारणों से आप पर बढ़ता है :
1.) आप पढ़ाई में काफ़ी अच्छे हैं और आपको अपने स्तर को बरकरार रखना है | इस लिए आप पर काफ़ी दबाव पड़ रहा है |
2.) आप अपनी पढ़ाई सही से नहीं कर पा रहे हैं और आप अच्छा करना चाहते हैं तब भी आप पर काफ़ी दबाव आ सकता है |
अगर सभी आत्महत्याओं पर सोच-विचार किया जाए तो शायद ऊपर के दो कारण प्रमुख होंगे |
काफ़ी बार यह देखने में आया है कि एक विद्यार्थी अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पता है और इस कारण भी वह एक दुखद कदम उठा लेता है |
आज अगर बिट्स की पढ़ाई पद्दति को देखें तो इसको कोसते हुए भी हम काफ़ी हद तक आत्महत्या जैसे चरम कदम से बचे हुए हैं | कारण ?
कारण साफ़ है | यहाँ इतने Tuts, Tests, Comprees, Evaluation Components, बॉस्म, ओएसिस, अपोजी इत्यादि होते हैं कि तनाव नाम की चिड़िया हमारे दिल-ओ-दिमाग से उड़ जाती है | कभी हम परिक्षाओं में फोड़ देते हैं और कभी ZUC से ही काम चलाना पड़ता है लेकिन हमें टेंशन किसी बात की नहीं होती है क्योंकि हम यह कहकर अपने आप को सांत्वना देते रहते हैं कि अभी तो टेस्ट-2, Quiz,Compree बाकी है तो कुछ ना कुछ तो कर ही लेंगे |
जैसा कि मैंने कहा कि हम आत्महत्या जैसी चीज़ से तो बच जाते हैं लेकिन इसमें भी कुछ कमी है | जैसे की हर सिक्के के दो पहलू होते हैं ठीक उसी तरह | हममें चीज़ों को, काम को टालने की बुरी आदत लग जाती है जो की भावी जीवन में जा कर हमारे लिए लाभकारी सिद्ध ना हो |
लेकिन अगर सम्पूर्ण नतीजे की बात करें तो आत्महत्या करने से तो अच्छा है कि हम कुछ काम को थोड़े दिनों के लिए टाल दें |
इस लेख से यह बात तो स्पष्ट होती है कि किसी चीज़ की हद आपकी सेहत और दूसरों के तनाव स्तर के लिए हानिकारक है | इसलिए सभी घोटुओं [बिट्स में जो दिल खोलकर केवल एक ही काम करते हैं, पढ़ना, उन्हें यह उपाधि दी गई है] से आग्रह है कि पढ़ाई और बाकी कार्यों का अच्छा संतुलन बनाएं ताकि लोग आत्महत्या जैसी चीज़ों से दूर ही रहे [अगर ऐसी कोई अप्रिय घटना घटती है तो इसके जिम्मेदार सिर्फ़ और सिर्फ़ आप ही होंगें] |
बाकी लोगों [जो घोटुओं की श्रेणी में नहीं आते हैं, मुझे पता है कोई अपने आपको घोट कहलवाना पसंद नहीं करता है] से यह कहना चाहता हूँ की आप [मेरे सहित] खुशनसीब हैं की कभी-कभी कम नम्बर ला कर आपने अपने अन्दर से वह तनाव को जड़ से निकाल फेंका है {और मुझे घोटुओं से काफ़ी सहानुभूति है कि वो अभी तक इस ज़बरदस्त अनुभव [की कम नम्बर ला कर भी शान से कहना - "अगली बार देखना, फोड़ के आऊंगा" (आऊँगी नहीं हो सकता है क्योंकि बिट्स में घोट लड़कियों के अलावा किसी और तरह की लड़कियों को प्रवेश नहीं मिलता है) ] और खुदकुशी जैसे कठोर राह की और अपने पैर नहीं बढ़ा रहे हैं |
तो फ़िर खुश रहिये, कभी फोड़िये, कभी पपेरों के सामने ZUC जाइये, लेकिन बस तनावमुक्त रहिये और पढ़ाई और दूसरी चीज़ों का अच्छा ताल-मेल बनाए रखिये [आख़िर घर वालों ने आपको इतनी दूर मुख्यतः पढने के लिए ही भेजा है] |
आप सभी को मेरी तरफ़ से हार्दिक शुभकामनाएं ||
-प्रतीक
पी एम...स्वागत है तुम्हारा. अब नियमित और सार्थक लिखो..इन्तजार रहेगा.
जवाब देंहटाएंHey PM,
जवाब देंहटाएंI guess you can add one more reason for suicide in your list : Cannot see girls performing better. As is very evident from your text you feel that all the girls whi score well are so called "ghotu" which very well depicts the kind of frustration felt seeing them ahead.
[BTW you should know that many girls work for two three clubs or departments or associations in bits but I dont find these numbers in guys]
Anyways nothing personal, so I hope you will consider that not all girls are brainless.
धन्यवाद समीर सर,
जवाब देंहटाएंआपकी तरफ़ से टिपण्णी आई है, यही मेरे लिए सौभाग्य की बात है | कोशिश करूँगा नियमित रहने की |
आभार,
प्रतीक
@ Ankita,
जवाब देंहटाएंU r talkin about ghotu girls only.but where did i say dat "only girls" r ghotus.thr ppl othr than girls who r big time ghots.
[BTW you should also know that i can give you names of many guys who work for many departments and clubs and their no. will definitely b more than girls.[u started this so m nt responsible].
nd btw yr last line is nt according to my post.i guess only some 5%[no stats..jst मन की बातें] girls r cracks.rest r real fodus nd i alwaz appreciate their foduness.
ne othr doubts???
jst post a comment..[:)]
I guess thats what I was trying to tell, there is no gender based description for ghotus. I am glad you accepted it.
जवाब देंहटाएं@ Ankita
जवाब देंहटाएंi never needed to accept the fact that only girls r nt ghots..twas u who mentioned dat..
nd i hope dat u accept dat yr views regardin only girls work more is wrong...
well.. jis tarah kuch ladke ghotte bhi hain, sabhi lite nahi lete; usi tarah kuch ladkiyaan nahi bhi hotti hai, lite le leti hain..
जवाब देंहटाएंyeh to tumhe maanna hoga..
I nvr said that girls work more as u have interpreted, I had just mentioned the fact that percentage girls in depts n clubs are more than that of guys (it may be due to the fact that % girls are less) and hence they may not be able to ghot so much as u suggested.I personally know that guys work equally hard for their cause and we have equal time to spend on our studies.
जवाब देंहटाएं@ radha..
जवाब देंहटाएंmaine kisi ladki ko atleast LITE lete to nahin dekha hai jis tarah se kuch ladke lete hain..actually ladkiyaan janm se hi sincere hoti hain..unko nahin badal sakte hain...
@ ankita
जवाब देंहटाएंye dekho..ab comments bhi percentage/vercentage ki baatein shuru?? nahin chhutega ye sab tumse..
aur apna pehla comment padho achche se..saaf saaf likha hai ki tum ye maanti ho ki ladkiyon ka kisi dept/club mein hona ladkon se zyada probable hai..
aapka pehla statement sahi hai ki doosra kripya bataaein...
PM yeh poora tumhare interpretation ke panga hai na ki mere kehne ka, maine kabhi yeh to bola hi nahi ki ladke kaam nahi karte ya ladkiyan jyada kaam karti hai, maine bus itna hi kaha tha ki jitna probable tumhara cheezo ko lite lena hai utna ladkiyon ka bhi, ab agar 720 ladke aur 90 ladkiyan hongi to obb hai ki shayad 120 ladke lite le le acads aur 15 ladkiyan lite le , baat to ek hi hui na. Yehi baat pichle 3 comments se bolne ki koshish kar rahi hoon aur tum ho ke pakke patrakar ke tarah meri baat to tod marod ke pesh kar rahe ho [:P]
जवाब देंहटाएंaur haan yeh baat to sach hai ki kisi ladki ka club dept main hona jyada probable hai coz clubs aur depts equal ratio maintain karna chahte hai jabki clo main equal ratio hai nahi [:D]
जवाब देंहटाएंदेखो जो तुमने पहले टिपण्णी में कहा था, मैं वही दोहरा रहा हूँ..मैंने कोई भी बात तोडी-मरोड़ी नहीं है..यह सब आपके मन का भ्रम है..और मैंने बाद में ये भी कहा था की 95% लड़कियां फोडू होती हैं फ़िर भी आपको यही लगता है कि मैं लड़कियों के ख़िलाफ़ हूँ...वो sincere होती हैं लेकिन उनका झुकाव पढ़ाई की तरफ़ ज़्यादा होता है..यह बात कभी काटी नहीं जा सकती है..और हम सब बिट्स में सबसे पहले पढने आएं है और बाकी काम बाद में..तो आप लोगों के लिए ही अच्छा है की ज़रूरी काम आप लड़कों से ज़्यादा अच्छा कर रही हैं...लेकिन यह आजकल लोगों की आदत सी हो गई है की सभी गौण बातों में अव्वल रहें...
जवाब देंहटाएं