tag:blogger.com,1999:blog-7983516883015849841.post2083709480019744635..comments2023-07-08T19:39:57.515+05:30Comments on प्रतीक माहेश्वरी: हिन्दी - ठंडा.. पर अंग्रेजी - कूल !!Pratik Maheshwarihttp://www.blogger.com/profile/04115463364309124608noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7983516883015849841.post-89982932994656029112009-12-02T17:41:19.722+05:302009-12-02T17:41:19.722+05:30hindi me likhne ki aadat to nhi hain web pe..isliy...hindi me likhne ki aadat to nhi hain web pe..isliye aise hi kaam chala raha hoon PM...........maafi!!<br /><br />is lekh me kaafi sahiaur gambhir masloo ko uthaya hain tumne!! jab tak hindi sahitya ko badhawa nahi milega shayad tab tak hindi ka dubara ghuspaith nhi ho payega jan jivan mein........shayad acche samsamyaik sahitya ki kami bhi iska karan hain.....aur jo hain wo ya to bahut klisht hain ya utne lokpriya nahi hain!! kya khayal hain aapaka!!Jayanthttps://www.blogger.com/profile/07325253728503348875noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7983516883015849841.post-26313631545420226532009-11-09T13:46:29.379+05:302009-11-09T13:46:29.379+05:30और हाँ ..गोदान एकदम god novel है , मैंने जब पदी थ...और हाँ ..गोदान एकदम god novel है , मैंने जब पदी थी तो उसमे से कुछ lines मुझे याद हैं <br /><br />"Nothing pleases a man more than talking about how glorious his past was, how pathetic his present is and how catastrophic his future is going to be."<br /><br />माफ़ कीजियेगा ..मैंने novel तो हिंदी में ही पदी थी..लेकिन exact lines याद नहीं हैं , इसलिए अनुवाद कर दिया.trikhahttps://www.blogger.com/profile/01950940700770398945noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7983516883015849841.post-74169967433138636342009-11-09T12:51:10.296+05:302009-11-09T12:51:10.296+05:30बहुत बढ़िया लिखा है यार...
मैं तुम्हारी बात से स...बहुत बढ़िया लिखा है यार... <br /><br />मैं तुम्हारी बात से सहमत हूँ कि आज हमारे ही देश में हिंदी की हालत बहुत खराब है , और जो Schools के बारे में तुमने लिखा ..वो भी एकदम सही है .<br /><br />आजकल हर English-Medium School में यह अनिवार्य किया जाता है कि हर एक विद्यार्थी केवल अंग्रेजी में ही बात करे . कई बार ऐसी स्थिति देख कर आश्चर्य होता है, कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है ?- School, Parents या फिर लोगों के मन में धरा हुआ यह विचार कि Companies केवल उन्ही लोगों को Career Opportunities देती हैं जो फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं या सिर्फ फिर वही लोग जीवन में सफल होते हैं जो अंग्रेजी बोलते हैं.<br /><br />मुझे इस विचार से भी कोई दिक्कत नहीं है परन्तु असली दिक्कत यह है कि हमारी Society इतनी Mature नहीं है कि यह बात समझ पाए कि - अंग्रेजी सीखना व बोलना ठीक है परन्तु इसका यह मतलब कदापि नहीं है कि हम अपनी मातृभाषा को ही भूल जाएँ, हिंदी का तिरस्कार करें तथा हर अंग्रेजी बोलने वाले को बुद्धिजीवी व हर हिंदी बोलने वाले को गँवार समझें. <br /><br />हम लोगों की आजकल सोच ही ऐसी बन गयी है की हर वो चीज़ जो फिरंगी [read Western or American] है वह बेहतर है तथा उसका अनुसरण करने से हम सारी दुनिया के साथ एक Global Platform पर आ जायेंगे, लेकिन कुछ नया सीखने के लिए या कुछ नया जानने के लिए यह आवश्यक नहीं है की हमारी अपनी भाषा को व अपनी संस्कृति को भुला दिया जाए या उसे हीन भावना से देखा जाए. <br /><br />मुझे यह समझ में नहीं आता कि ऐसे लोग - जो कि फिरंगी चीज़ों का अनुसरण करते हैं - हमेशा हिंदी के बारे में गलत विचार रखते हैं. पता नहीं क्यों ऐसे लोगों को यह समझ में नहीं आता कि अगर एक Novel कि कहानी अच्छी है, तो वह अच्छी है, फिर भले ही वह जिस मर्ज़ी भाषा में लिखी है, अगर कोई संगीत कानों को सुकून दे रहा है -तो वह अच्छा है फिर भले ही उसमे जिस मर्ज़ी वाद्य यंत्रो का उपयोग किया हो, चाहे वो Sitar हो या Guitar हो, अगर किसी Movie कि कहानी अच्छी है.. Actors का अभिनय अच्छा है तो फिर इस बात से क्या फर्क पड़ता है कि Movie English है या Hindi. <br /><br />जब तक हमारी Society इस बात को नहीं समझेगी, जब तक जनता की यह मानसिकता नहीं बदलेगी - तब तक हमारे देश में Rock over Classical Music, Shakira over Lata Mangeshkar, Alistair MacLean over Premchanda इत्यादि को Preference मिलती रहेगी तथा तब तक अपने आप को 'Cool' कहने वाले जीव पनपते रहेंगे.<br /><br />खैर मैंने बहुत कुछ कह दिया, पर हिंदी की दुर्दशा देख कर दुःख होता है.trikhahttps://www.blogger.com/profile/01950940700770398945noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7983516883015849841.post-25826864917356758492009-11-07T11:19:05.951+05:302009-11-07T11:19:05.951+05:30एक्सीलेंट्।एक्सीलेंट्।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7983516883015849841.post-77193624862657192942009-11-06T22:12:29.090+05:302009-11-06T22:12:29.090+05:30आप का लेख पढ़ कर बहुत अच्छा लगा। वास्तव में हिन्दी ...आप का लेख पढ़ कर बहुत अच्छा लगा। वास्तव में हिन्दी की यह हालत हमारे सरकारी तंत्र के कारण ही है....मैं सरकारी स्कूल में पढ़ा हूँ ....और ऐसा देखा गया है कि इन स्कूलों में पढ़ने वाले विधार्थी अग्रेजी में अधिकतर कमजोर ही होते हैं..लेकिन अब वहाँ भी यह अग्रेजी घुस गई है.....।<br />आखिर मे जो किस्सा आपने लिखा है वह बहुत प्रेरक है, शायद कोई इस पर अमल करे.....परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.com