नया क्या?

बुधवार, 10 मार्च 2010

एक महत्त्वपूर्ण संकल्प

ठीक साल भर बाद इसी दिन एक और पोस्ट..
पता नहीं इस दिन क्यों लिखना चाहता हूँ पर चाहता हूँ इसीलिए लिख रहा हूँ..

पर इस बार कुछ अलग.. बदलाव आवश्यक है और निरंतर है.. एक साल में मैं भी बदला हूँ, दुनिया भी..
बिट्स में भी बदलाव आ रहा है.. आशा है अच्छे के लिए ही आये..
पर इस दिन मैं भी कुछ बदलाव लाने कि कोशिश करूँगा.. किसी और में नहीं, खुद में.. कुछ बातें जो मन को खाए जा रही हैं उनको पचाना है.. और कुछ अलग करना है..
आज के दिन संकल्प लेता हूँ कुछ ऐसा करने का जो कि सभी कि यादों में बस जाए.. यह संकल्प बिट्स-पिलानी के लिए है और इसका श्री गणेश आज ही होगा.. कुछ और भी है मन में जिनको करने की इच्छा है पर सबसे पहले आप सभी के लिए मेरा प्रमुख कार्य यह संकल्प ही रहेगा जो आप सभी के सामने मैं जल्द ही लाने की कोशिश करूँगा..

आप सभी के आशीर्वाद और प्रेम की चाह में मैं अपने कार्य में जुट रहा हूँ और आशा करता हूँ कि अगले पोस्ट तक मैं अपना संकल्प पूरा करने में कामयाब रहूँ..

पिछले साल इसी दिन, इसी समय यह पोस्ट किया था.. इसे भी पढ़ सकते हैं..

तब तक के लिए,
आदाब, सायोनारा !

बुधवार, 3 मार्च 2010

आपत्ति

ऋषि फ़ोन पर बात कर रहा था, अपनी गर्लफ्रेंड, प्रीती से..
प्रीती उसे कह रही थी कि वो सुबह जल्दी उठा करे और इसके फायदे और निशाचर होने के नुक्सान बता रही थी..
ऋषि पूरे तन्मयता के साथ सुन रहा था.. आधे घंटे तक सुना..

उनके इस रिश्ते के बारे में ऋषि की माँ को पता था और उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी.. वो प्रीती को पसंद करती थी...
शाम को ऋषि ने माँ को बताया कि प्रीती ने कहा है कि सुबह जल्दी उठूं, तो कल से वो जल्दी उठेगा...
माँ ने सोचा, अच्छा है.. कम से कम इस रिश्ते से इसमें कुछ सुधार तो हो रहा है.. खुश हुई..

कहा - अगर जल्दी उठने की अच्छी आदत डाल ही रहे हो तो स्मोकिंग भी छोड़ दो..
ऋषि एकदम से पलटा और कहा - "माँ, अब फिर से अपना लेक्चर शुरू मत करो.." और उठकर चला गया..

अब माँ को आपत्ति हो रही थी.. उन्हें आभास हो रहा था.. एक अंधकारमय भविष्य का..
ऋषि को अपना बेटा कहने में संकोच होने लगा था... पर कुछ कर न सकीं...